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picture1_Environmental Management Plan Sample 55721 | 1588089864 Unit 5  Hindi (1)


 295x       Filetype PDF       File size 0.64 MB       Source: www.sbsc.in


File: Environmental Management Plan Sample 55721 | 1588089864 Unit 5 Hindi (1)
5 environmental pollution air water soil thermal and noise causes effects and controls primary and secondary air pollutants air and water quality standards nuclear hazards and human health risks solid ...

icon picture PDF Filetype PDF | Posted on 21 Aug 2022 | 3 years ago
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                                                                                                                                                                   इकयई 5   
                                                                                                                                                  पर्यावरण प्रदषण                        
                                                                                                                                                                            ू
                             •Environmental pollution (Air, water, soil, thermal, and noise): causes, effects, and 
                             Controls; Primary and secondary air pollutants; Air and water quality standards 
                             • Nuclear hazards and human health risks 
                             • Solid waste management: Control measures for various types of urban, industrial 
                             Waste, Hazardous waste, E-waste, etc; Waste segregation and disposal 
                             • Pollution case studies: Ganga Action plan (GAP), Delhi air pollution and public health 
                             issues, Plastic waste management rules, Bhopal gas tragedy 
                                                                                                                                                                                    
                              
                             पर्यावरण प्रदषण (Environmental Pollution): 
                                                 ू
                              
                             प्राचीन काल में प्रकति और मानव के  बीच भावनात्मक संबंध था। मानव अत्यंि किज्ञ भाव स े
                                                           ृ                                                                                                    ृ
                             प्रकति के  उपहारों को ग्रहण करिा था। प्रकति के  ककसी भी अवयव को क्षति पहचाना पाप 
                                                                                                                                                                    ुँ
                                  ृ                                                                 ृ                                                               
                             समझा जािा था। बढ़िी जनसंख्या एवं भौतिक ववकास के फलस्वरूप प्रकति का असीममि दोहन 
                                                                                                                                               ृ
                             प्रारम्भ हआ। भमम से हमने अपार खतनज सम्पदा, डीजल, पेट्रोल आदद तनकाल कर धरिी की 
                                                       ू
                             कोख को उजाड़ ददया। वक्षों को काट-काट कर मानव समाज ने धरिी को नग्न कर ददया। वन्य 
                                                                    ृ
                             जीवों के  प्राकिवास वनों के  कटने के  कारण वन्य-जीव बेघर होिे गए। असीममि औद्योगीकरण 
                                                  ृ
                             के  कारण लगािार जहर उगलिी चचमतनयों ने वायमण्डल को ववषाक्ि एवं तनष्प्प्राण बना ददया। 
                                                                                                              
                             हमारी पावन नददयाुँ अब गंदे नाले का रूप ले चकी हैं। नददयों का जल ववशाक्ि होने के  कारण 
                                                                                                           
                             उसमें रहने वाली मछमलयाुँ एवं अन्य जलीय जीव िड़प-िड़प कर मर रहे हैं। बढ़िे ध्वतन प्रदषण 
                                                                                                                                                                              ू
                             से कानों के  परदों पर लगािार घािक प्रभाव पड़ रहा है। लगािार घािक रासायतनक उवरकों व                                                                 का 
                             प्रयोग भमम को उसरीला बनािा जा रहा है। पथ्वी पर अम्लीय वषाव का प्रकोप धीरे-धीरे बढ़िा 
                                           ू                                                           ृ
                             जा रहा है िथा लगािार िापक्रम बढ़ने से पहाड़ों की बफव वपघल रही है जजससे पथ्वी का 
                                                                                                                                                                       ृ
                             अजस्ित्व संकटग्रस्ि होिा जा रहा है। 
                             प्रदषण पयाववरण में दषक पदाथों के  प्रवेश के  कारण प्राकतिक संिलन में पैदा होने वाले दोष को 
                                  ू                            ू                                                      ृ              
                             कहिे हैं । प्रदषण का अथ व है 'हवा, पानी, ममट्टी आदद का अवांतछि द्रव्यों से दवषि होना', जजसका 
                                                  ू                                                                                                    ू
                             सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से ववपरीि प्रभाव पड़िा है िथा पाररजस्थतिक िंत्र को नकसान द्वारा 
                                                                                                                                                                
                             अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़िे हैं। 
                             मानव की ववकास सम्बन्धी गतिववचधयाुँ जैसे भवन तनमावण, यािायाि और तनमावण न केवल 
                             प्राकतिक  संसाधनों  को  घटािी  है  बजकक  इिना  कड़ा-ककव ट  (अपमशष्प्ट)  भी  उत्पन्न  करिी  हैं 
                                   ृ                                                                          ू
                             जजससे वाय, जल, मदा और समद्र सभी प्रदवषि हो जािे हैं। वैजववक ऊष्प्मण बढ़िा है और अम्ल 
                                                            ृ                                    ू
                             वषाव बढ़ जािी है। अनपचाररि या अनचचि रूप से उपचाररि अपमशष्प्ट (कड़ा-ककवट) नददयों के 
                                                                                                                                                   ू
                             प्रदषण और पयाववरणीय अवक्रमण का मख्य कारण है जजसके फलस्वरूप स्वास्थ्य का खराब 
                                  ू                                                             
                             होना और फसलों की उत्पादकिा में कमी आिी है। इस पाठ में आप प्रदषण के प्रमख कारणों, 
                                                                                                                                                 ू                  
                             हमारे पयाववरण पर पड़ने वाले उनके प्रभावों और ववमभन्न उपायों के  बारे में जानकारी प्राप्ि 
                             करेंगे, जजनसे इस प्रकार के  प्रदषणों को तनयंत्रत्रि ककया जा सकिा है। 
                                                                             ू                                                                                                   1 
                               पर्यावरण प्रदषण                        अध्र्र्न के  उद्देश्र् के  लिए उपर्ोग कर                 डॉ र्शपयि ल ह िं   नरवररर्य 
                                               ू                                                                 ें
                                                                                                      
                                                                                                      
                              
                              
                             प्रदषण के  प्रकयर (Types of Pollution) : 
                                  ू
                              
                             प्रदषण के  तनम्नमलखखि प्रकार हो सकिे हैं: 
                                  ू
                             1.वाय प्रदषण 
                                             ू
                             2.जल प्रदषण 
                                             ू
                             3.ध्वतन प्रदषण 
                                               ू
                             4.मदा (भमम) प्रदषण 
                                   ृ         ू           ू
                             5.िापीय प्रदषण (थमलव  प्रदषण) 
                                                 ू                      ू
                             6.ववककरण प्रदषण (रेडडएशन प्रदषण) 
                                                    ू                           ू
                              
                             वयर् प्रदषण (Air Pollution) : 
                                   ु      ू
                              
                             मानव को प्रकति प्रदत्त एक तन:शकक उपहार ममला है और वह है वाय । यह उपहार सभी जीवों 
                                                   ृ                                                                                         
                             का आधार है। मानव त्रबना भोजन एवं त्रबना जल के कछ समय भले ही व्यिीि कर ले, त्रबना 
                                                                                                                      
                             वाय के  वह दस ममनट भी जीववि नहीं रह सकिा। यह अत्यंि चचन्िा का ववषय है कक प्रकति 
                                                                                                                                                                               ृ
                             प्रदत्त जीवनदातयनी वाय लगािार जहरीली होिी जा रही है। शहरों का असीममि ववस्िार, बढ़िा 
                                                                   
                             औद्योगीकरण,  पररवहन  के  साधनों  में  लगािार  वद्चध  िथा  ववलामसिा  की  वस्िएं  (जैसे- 
                                                                                                                  ृ                                                   
                             एयरकन्डीशनर, रेकिजरेटर आदद) वाय प्रदषण को लगािार बढ़ावा दे रही हैं। 
                                                                                             ू
                             वाय प्रदषण औद्योचगक गतिववचधयों और कछ घरेल गतिववचधयों के फलस्वरूप होिा है। िाप 
                                          ू                                                                      ू
                             संयंत्रों, जीवावममय ईंधन के  तनरन्िर बढ़िे प्रयोग, उद्योगों, यािायाि, खनन काय, व भवन-तनमावण 
                             और पत्थरों की खदाई से वाय-प्रदषण होिा है। वाय प्रदषण को इस प्रकार पररभावषि ककया जा 
                                                                                   ू                                 ू
                             सकिा है कक वाय में ककसी भी हातनकारक ठोस, िरल या गैस का, जजसमें ध्वतन और रेडडयोधमी 
                                                          
                             ववककरण भी शाममल हैं, इिनी मात्रा में ममल जाना जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव और 
                             अन्य जीवधाररयों को हातनकारक रूप से प्रभाववि करिे हैं। इनके कारण पौधे, सम्पवत्त और 
                             पयाववरण की स्वाभाववक प्रकक्रया बाचधि होिी है।  
                              
                             वयर् प्रदषण के  प्रकयर (Types Air of Pollution):   
                                   ु      ू
                              
                             (1) तनलंत्रबि कखणकीय द्रव्य (तनकले हए ठोस कण)  
                                                                                          
                             (2) गैस रूपी प्रदषक जैसे काबनव  डाइऑक्साइड (CO2), NOx आदद।  
                                                       ू
                              
                             कण रूपी प्रदषक (Particulate Pollutants): 
                                                  ू
                             औद्योचगक चचमतनयों से तनकलने वाली धल और कामलख वह कणरूपी द्रव्य हैं जो वाय में 
                                                                                               ू                                                                      
                             तनलंत्रबि हो जािे हैं। इनका आकार (व्यास) 0.001 से 500 μm िक होिा है। 10 μm से कम 
                             आकार के कण हवा की िरंगों के साथ बहिे रहि हे                                      ैं। जो कण 10 μm से बड़ होिे                    े हैं वे नीच े बैठ 
                             जािे हैं। जो 0.02 μm स े छोटे होिे हैं उनसे वायववलय (एरोसोकस) अपना अजस्ित्व बनाये 
                                                                                                         
                                                                                                                                                                                 2 
                               पर्यावरण प्रदषण                        अध्र्र्न के  उद्देश्र् के  लिए उपर्ोग कर                 डॉ र्शपयि ल ह िं   नरवररर्य 
                                               ू                                                                 ें
                                                                                                      
                                                                                                      
                              
                                                               रखिे हैं। हवा में िैरने वाले कणों (एसपीएम) का मख्य स्रोि गाडड़याुँ, पॉवर प्लांट्स (िाप संयंत्र), 
                                                                                                                                                                                                                                              
                                                               तनमावण गतिववचधयाुँ, िेल ररफाइनरी, रेलवे याड, व बाजार और फै क्टरी आदद होिे हैं। 
                                                                
                                                               हवय में उड़ती हई रयख (फ्ियई एश): 
                                                                                                                   ु
                                                               थमल पॉवर प्व                                  लांट में कोयले के  जलने की प्रकक्रया में राख उप-उत्पाद की िरह तनष्प्कामसि होिी 
                                                               है। यह राख वाय और जल को प्रदवषि करिी है। जलस्रोिों में भारी धाि प्रदषण का कारण भी 
                                                                                                                                                                                     ू                                                                                                                                            ू
                                                               हो सकिी हैं। यह राख वनस्पतियों पर भी प्रभाव छोड़िी है क्योंकक यह पवत्तयों पर और ममट्टी 
                                                               पर परी िरह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जम जािी है। यह राख ईंट बनाने और भरावन के  
                                                                                 ू
                                                               मलये भी प्रयोग में लाई जािी है। 
                                                                
                                                                ी य (िैड) और अन्र् धयतओिं के  कण: 
                                                                                                                                                            ु
                                                               टैट्राइथाइल लैड (TEL) को गाडड़यों की सरल और सहज गति के मलये पेट्रोल में परा-आघाि के 
                                                               रूप में प्रयोग ककया जािा है। गाडड़यों की तनकास नमलयों (Exhaust pipe) से तनकल कर हवा में 
                                                               ममल जािा है। यदद ववास के साथ शरीर में पहच जािा है िो गद (वक्क) और जजगर (यकि) 
                                                                                                                                                                                                                               ुँ                                                           े            ृ
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 ृ
                                                               को प्रभाववि करिा है और लाल रक्ि कणों के बनने में बाधा पहचािा है। यदद सीसा पानी और 
                                                                                                                                                                                                                                                                                          ुँ
                                                                                                                                                                                                                                                                                           
                                                               भोजन के साथ ममल जािा है िो एक िरह से ववष बन जािा है। यह बच्चों पर दीघकाव                                                                                                                                                                                                                              मलक 
                                                               प्रभाव डालिा है जैसे बद्चध को कमजोर करिा है। 
                                                                                                                                              
                                                                
                                                               गै ीर् प्रदषक (Gaseous pollutants): 
                                                                                                 ू
                                                               पॉवर प्लांटों, उद्योगों, ववमभन्न प्रकार की गाडड़यों-तनजी और व्यावसातयक दोनों ही ईंधन के  रूप 
                                                               में पेट्रोल या डीजल का प्रयोग करिे हैं और गैसीय प्रदषक जैसे काबनव  डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन 
                                                                                                                                                                                                                                                            ू
                                                               के   ऑक्साइड और सकफर डाइऑक्साइड को, कण रूपी द्रव्य के साथ धएुँ के रूप में हवा में 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                            
                                                               छोड़िे हैं। ये सभी मनष्प्यों और वनस्पति पर हातनकारक प्रभाव छोड़िे हैं  
                                                                                                                                            
                                                                
                                                               जि-प्रदषण (Water Pollution): 
                                                                                         ू
                                                                
                                                               “जल में ठोस काबतनकव                                                         , अकाबतनकव                               पदाथ, व रेडडयोएजक्टव ित्व, उद्योगों का कचरा एवं सीवेज से 
                                                               तनकला हआ पानी ममलने से जल प्रदवषि हो जािा है”। 
                                                                                                                                                                                             ू
                                                               जल में अतनजच्छि या अवांछनीय पदाथों का ममला होना या पाया जाना ही जल-प्रदषण कहलािा 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                        ू
                                                               है।  जल प्रदषण एक सबसे गम्भीर पयाववरणीय समस्या है। जल प्रदषण मानव की अनेक 
                                                                                                       ू                                                                                                                                                                                           ू
                                                               गतिववचधयों के  कारण होिा है जैसे औद्योचगक, कवष और घरेल कारणों से होिा है। कवष का 
                                                                                                                                                                                                                                      ृ                                             ू                                                                           ृ
                                                               कड़ा-कचरा जजसमें रासायतनक उवरक और कीटव                                                                                                                         नाशक ममले होिे हैं। औद्योचगक बदहस्राववों के  
                                                                    ू
                                                               साथ-साथ ववषाल पदाथों का ममलना, मानव और जानवरों का तनष्प्कामसि मल-जल सभी जल-
                                                                                                                        
                                                               प्रदषण का कारण हैं। जल-प्रदषण के  प्राकतिक कारणों में मदा अपरदन, चट्टानों से खतनजों का 
                                                                         ू                                                                                         ू                                      ृ                                                             ृ
                                                               ररसाव और जैव पदाथों का सड़ना तनदहि है। नददयाुँ, झरने, सागर, समद्र, ज्वारनदमख, भममगि 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                       ू
                                                               जलस्रोि भी त्रबदं  और गैर त्रबदं  स्रोिों के  कारण प्रदवषि होिे हैं। जब प्रदषक ककसी तनजवचि 
                                                                                                                                                                                                                                           ू                                                                      ू
                                                               स्थान से नामलयों और पाइपों के  द्वारा पानी में चगरिा है िो वह त्रबदं  स्रोि प्रदषण (Point 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                         ू                                                       3 
                                                                 पर्यावरण प्रदषण                        अध्र्र्न के  उद्देश्र् के  लिए उपर्ोग कर                 डॉ र्शपयि ल ह िं                                                                                                                                            नरवररर्य 
                                                                                                       ू                                                                                                                                            ें
                                                                                                                                                                                                                             
                                                                                                                                                                                                                             
                                                                
                                                                  source pollution) कहलािा है। तनजवचि स्थान फै क्टरी, पॉवर प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हो 
                                                                  सकिे हैं। इसके  ववपरीि गैर-त्रबन्द स्रोि (Non point source) में प्रदषक बड़ े और ववस्िि क्षेत्र से 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                             ू                                                                  ृ
                                                                  आिे हैं जैसे खेिों, चारागाहों, तनमावण स्थलों, खाली पड़ी खदानों और गड्ढों, सड़कों और गमलयों से 
                                                                  बहकर आने वाला कड़ा सजम्ममलि है। 
                                                                                                                                        ू
                                                                   
                                                                   
                                                                  जि-प्रदषण के  स्रोत (Source of Water Pollution): 
                                                                                             ू
                                                                   
                                                                  प्रदवषि जल से उत्पन्न होने वाले रोगों और अनके ों अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का मख्य स्रोि 
                                                                            ू                                                                                                                                                                                                                                                                                               
                                                                  जल-प्रदषण ही है। खेिों से बहकर आए पानी से आने वाले िलछट और अनपचाररि या आंमशक 
                                                                                             ू                                                                                                                                                                                                                                                 
                                                                  रूप से उपचाररि सीवेज का तनष्प्कासन और औद्योचगक कचरा, ठोस कचरा या धल का 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             ू
                                                                  तनष्प्कासन जलस्रोिों के  अन्दर या उनके  आस-पास करना गम्भीर रूप से जल प्रदषण का कारण 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               ू
                                                                  हैं। पानी की पारदमशिव ा इस गन्दगी के  कारण कम हो जािी है जजससे पानी के  अन्दर प्रकाश 
                                                                  की ककरणों का पहचना बहि कम हो जािा है और फलस्वरूप जलीय पौधों द्वारा प्रकाश 
                                                                                                                                  ुँ
                                                                                                                                                               
                                                                  संवलेषण में भी कमी आ जािी है। 
                                                                   
                                                                  कीटनयशकों और अकयर्ना नक र यर्नों के  कयरण प्रदषण: 
                                                                                                                                                                                                                                                    ू
                                                                   
                                                                                    खेिी में प्रयोग ककये जाने वाले कीटनाशक जैसे डीडीटी व अन्य पदाथों के  उपयोग आदद से 
                                                                                     जल तनकाय प्रदवषि होिे हैं। जलीय जीव, पानी से उन कीटनाशकों को लेकर, उन 
                                                                                                                                             ू
                                                                                     कीटनाशकों से प्रभाववि होकर खाद्य शंखला से जड़ जािी है (इस ववषय में जलीय) और 
                                                                                                                                                                                                                                ृ                                     
                                                                                     उच्च पोषण स्िर में एकत्रत्रि (सांदद्रि) होकर यह प्रदषण खाद्य शंखला के  अजन्िम छोर 
                                                                                                                                                                                                                                                                              ू                                              ृ
                                                                                     िक पहच जािा है। 
                                                                                                                ुँ
                                                                                                                 
                                                                                    सीसा, जजंक, आसतनक, िांबा, पारा और कै डममयम ये सभी धािएुँ फै क्टरी से तनकले 
                                                                                                                                                े                                                                                                                                                              
                                                                                     औद्योचगक जल में ममले रहिे हैं जजनका मनष्प्यों और अन्य पशओं पर प्रतिकल प्रभाव 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      ू
                                                                                     पड़िा है। पजवचमी बंगाल, उड़ीसा, त्रबहार, पजवचमी उत्तर प्रदेश के  भममगि जल में आसतनक 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          ू                                                                    े
                                                                                     प्रदषण पाया गया है। आसतनक से प्रदवषि जल वाले कओं का पानी प्रयोग करने पर शरीर 
                                                                                                ू                                                                                  े                                        ू                                                          
                                                                                     के  अगों जैसे रक्ं                                        ि, नाखन और बालों में आसतनक पदाथ व जमा हो जािा है जजससे अनेक 
                                                                                                                                                                         ू                                                                          े
                                                                                     चम व रोग जैसे शष्प्क त्वचा, ढीली त्वचा, त्वचा ववकति यहाुँ िक कक चम व कैंसर रोग हो 
                                                                                                                                                                                                                                                                  ृ
                                                                                     सकिे हैं। 
                                                                                     जल संकाय का प्रदषण पारे (मकवरी) से होने पर मनष्प्यों में ममनामाटा रोग और मछमलयों 
                                                                                                                                                           ू                                                                                                                    
                                                                                     में ड्रॉप्सी रोग हो जािा है। जस्िे के  कारण डडस्प्लैजक्सया हो जािा है और कै डममयम का 
                                                                                     जहर इिाई-इिाई रोग का कारण होिा है। 
                                                                                    समद्र में िेल का प्रदषण (िेल ररसाव) पानी के  जहाजों, िेल के  टैंकरों, उनके  उपकरणों और 
                                                                                                                                                               ू
                                                                                     पाइपलाइनों के  कारण होिा है। िेल के  टैंकरों के  दघटव नाग्रस्ि होने से बहि बड़ी मात्रा में 
                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      
                                                                                     समद्र में िेल फै ल जािा है जजससे समद्री पक्षक्षयों की मत्य हो जािी है और समद्री जीवों 
                                                                                                                                                                                                                                                                                         ृ                                                                                      
                                                                                     और िटों पर प्रतिकल प्रभाव पड़िा है। 
                                                                                                                                                         ू                                                                                                                                                                                                                                                       4 
                                                                    पर्यावरण प्रदषण                        अध्र्र्न के  उद्देश्र् के  लिए उपर्ोग कर                 डॉ र्शपयि ल ह िं                                                                                                                                                       नरवररर्य 
                                                                                                           ू                                                                                                                                                   ें
                                                                                                                                                                                                                                      
                                                                                                                                                                                                                                      
                                                                   
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