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इकाई - 1 अर्थशास्त्र का स्वरूप (Nature of Economics) बीएईसी-101 & एमएईसी (BAEC-101 & MAEC 101) Presented by Dr. Shalini Chaudhary Assistant Professor & Coordinator Department of Economics Uttarakhand Open University, Haldwani इकाई - 1 अर्थशास्त्र का स्वरूप (Nature of Economics) आधनिक समय में अर्थशास्त्र का अध्ययि अत्यन्त महत्वपर् थ हो गया है क्योनक वास्तनवक जगत जनिल ु ू होता ह।ै अतः उसके आनर्थक समस्याओ को समझिा कनिि होता है, अर्थशास्त्र के अध्ययि से इिका ं समाधाि अत्यन्त सगम हो जाता है और िीनतयों को परखिे की समझ भी पल्लनवत होती ह।ै ु English भाषा के Economics शब्द की उत्पनि, लैनिि भाषा के Economica या ग्रीक भाषा के oikonomi से हई है, नजसका अर्थ है- ‘गह प्रबन्ध’। नहन्दी भाषा का ‘अर्थशास्त्र’ शब्द, दो शब्दों से ु ृ नमलकर बिा है-‘अर्थ’ और ‘शास्त्र’, नजसका शानब्दक अर्थ है- ‘धि का शास्त्र’। प्रस्तत इकाई के अन्तगथत हम अर्थशास्त्र के नवनभन्ि नवद्वािो द्वारा दी गई पररभाषाओ, उसके नवषय ु ं क्षेत्र, महत्व व इसके सार् ही उसकी प्रकनत का भी अध्ययि करेंगे। ृ उद्देश्य (Objectives) प्रस्तत इकाई के अध्ययि के बाद आप - ु • अर्थशास्त्र नवषय के प्रनत नवनभन्ि अर्थशानस्त्रयों के दृनिकोर्ों से अवगत हो सकें गे। • अर्थशास्त्र के नवषय क्षेत्र व स्वभाव से पररनित हो सकें गे। • आनर्थक समस्याओ के उत्पन्ि होिे के कारर्ों को भली भानन्त समझिे की मािनसक योग्यता ं नवकनसत कर सकेंगे। • अर्थशास्त्र नवषय का अध्ययि समाज के नलए नकस प्रकार लाभकारी ह? ै इसे अच्छी तरह समझ सकें गे। अर्थशास्त्र की परिभाषा (Definition of Economics) • हम सभी यह सवथमान्य रूप से स्वीकार करते हैं, नक प्रत्येक व्यनि की आवश्यकताए ँ असीनमत होती हैं और उन्ह े प्राप्त करिे के साधि (जैसे आय) सीनमत होते ह।ैं प्रत्येक व्यनि अपिी अनधक से अनधक आवश्यकताओ की पनतथ करिे का प्रयास करता है परन्त वह अपिें सीनमत-असीनमत ंू ु इच्छाओ/आवश्यकताओ की अनधकतम प्रानप्त हते सीनमत साधि को नकस प्रकार प्रयि करें उसका ं ं ु ु निर्थय कै से करें? यही उसके समक्ष आनर्थक समस्या ह।ै • अर्थशास्त्र की पररभाषा के सदभथ में इसके नवनभन्ि नवद्धािों के मध्य मत नभन्िता की नस्र्नत रही है ं क्योंनक यह एक ऐसा नवषय है नजसमें समय के सार् पररवतथि होता रहा ह।ै यही कारर् है नक आज तक अर्थशास्त्र की कोई सवथमान्य पररभाषा िहीं दी जा सकी ह।ै िँनक नवगत दो शताब्दीयों से अनधक ू वषों में अर्थशास्त्र के नवषय क्षेत्र में बहत नवस्तार हआ ह।ै अतः इसकी पररभाषाओ में नभन्िता पाई ु ु ं जािा स्वाभानवक बात ह।ैं
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